कुंडली में विधवा/विधुर योग

कुंडली में वैधव्य योग स्त्री के लिए सबसे बड़ा अभिशाप होता है इससे बुरा योग एक स्त्री के जीवन में कोई दूसरा नहीं हो सकता।  ईश्वर से यही प्राथना है किसी स्त्री के जीवन में ऐसी दुखद घडी न आये।  परंतु विधाता को जो मंजूर होता है उसके सामने इंसान विवश है।  आइए कुछ योगों पर विचार करें जो अगर स्त्री की कुंडली में हों तो वैधव्य हो जाती  है। 

1 राहु लग्न में हो तथा मंगल अष्टम भाव में हो या द्वादश भाव में हो।
2  जन्म लग्न या चंद्र लग्न में सप्तम या अष्टम भाव में सूर्य , मंगल , शनि व राहु चारों हो।
3 सप्ताह भाव में मंगल पाप ग्रहो के साथ हो अथवा सप्तमस्त मंगल पर पाप ग्रहों की दृष्टि हो।
4 सप्तम भाव पाप मध्य में हो अर्थार्थ षष्ट और सप्तम में पाप ग्रह हो तथ सप्तम भाव पर किसी शुभ ग्रह की दृष्टि न हो। 
5 सप्तमेश व अष्टमेश अष्टम में हो तथा उन पर पाप ग्रहों की दृष्टि हो। 
6 अष्टमेश सप्तम में हो तथा सप्तमेश पीड़ित हो।
7 सप्तमस्थ मंगल पर शनि की दृष्टि हो।
8 षष्ट भाव में चंद्रमा , मंगल सप्तम भाव में राहु तथा अष्टम में शनि हो।
9 सप्तम व अष्टम में राशि परिवर्तन हो।
10 अष्टमेश पाप नवमांश में हो।
11 सप्तमेश व अष्टमेश की युति द्वादस भाव में हो तथा सप्तम भाव पाप ग्रस्त हो।
12 लगनेश व अष्टमेश द्वादस भाव में हो तथा अष्टम भाव पर पाप ग्रहों की दृष्टि हो।
13 गुरु व शुक्र की युति हो तथा सुकर गुरु से अंशों में पीछे हो। 
14 षष्टेश सप्तम में , सप्तमेश अष्टम या द्वादश में हो तथा द्वादशेश सप्तम भाव में हो।
15 सप्तमेश अस्त हो तथा सप्तम भाव पाप ग्रस्त हो।

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